जलेस मेरठ جلیس میرٹھ
जनवादी लेखक संघ मेरठ جناوادئ لکھاک سنگھ میرٹھ
रविवार, 29 जून 2014
दोहे
कुछ भी तो बदला नहीं साहब, मेरे हजूर
भक्तों को रोटी नहीं, अच्छे दिन हैं दूर.
थाने में पूछी गयी सबसे पहले जात
हमको राहत में मिली फिर कसकर दो लात
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