वैदिक जी सच सच बतलाना बिरयानी का स्वाद था कैसा ?
वो दाड़ी वाला भी क्या दिखता था अपनों के ही जैसा ?
दाड़ी उसकी भी काली है या अब कुछ दिखती सफ़ेद है ?
पर सफेद काली से क्या है ? दाड़ी दाड़ी में न भेद है .
हम रखते हैं बहुत बड़ा दिल हत्यारे सब बने मीत हैं
आतंकी बोली में सबसे ज्यादा मीठे मधुर गीत हैं ,
लेकिन उन गीतों को सुनने कौन तुम्हारे साथ चलेगा ?
और इधर आकर वे गायें ऐसा भी अब कौन सहेगा .
बेहतर होगा तुम अपना सब खानदान लेकर के जाओ
और उसी दढ़ियल कुत्ते के साथ बैठकर नाचो गाओ
जब तक चाहो भों भों करना, गाना आतंकी तुम गाने
हम सरहद पर खड़े हुए हैं हाथों में बंदूकें ताने .
छब्बीस ग्यारह का आतंकी अगर इधर फटकेगा कोई
वो कुत्ते की मौत मरेगा बचा नहीं पायेगा कोई .
उसके सब मजहबी तराने उसका ही फातिहा पढ़ेगें
उसके पाले पोसें कुत्ते सब के सब बेमौत मरेंगे .
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