गुरुवार, 17 जुलाई 2014

अरे! कोई सुन लेगा- महेस ओझा


हाल न दिल का बोल, अरे! कोई सुन लेगा
है दर्द बड़ा अनमोल, इसे कोई चुन लेगा .

सुख झूठा दुनिया का, सुख ही सच्चा है 
ख़्वाबों की कालीन बुनी, यह अच्छा है 
ताना-बाना मत खोल, अरे! कोई बुन लेगा... 

महल बनेगा ऊँचा, तेरा यह मन है
सपना ऐसी भेड़, ज़माना दुश्मन है
ऊन न इसकी तौल, अरे! कोई धुन लेगा...

वक़्त सगा ना हुआ,ढहाता कहर गया
चला जहाँ से, वहीं यहीं पर ठहर गया
ये दुनिया गोलमटोल, इसे कोई गुन लेगा ...

सात सुरों में, पञ्चम तक भी जाना है
जीवन एक तराना, हर दम गाना है
सारा सरगम खोल, चुरा कोई धुन लेगा...
......................... महेस ओझा

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