शनिवार, 17 जनवरी 2015

मौन संत मुस्काता है

वो गाँधी हों या जयप्रकाश अपने शिष्यों  से छले गये
इतिहास स्वयं को दोहराता अन्ना दिखते हों भले नये.
कुर्सी की खातिर सब चेले आपस में भांजें तलवारें
उनके चरणों को चूम रहें जिनको कहते थे हत्यारे
रालेगण सिद्धि में बैठा वो मौन संत मुस्काता है
परिवेश बदलने जो आया वो वेश बदल कर जाता है.
    

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