कुछ लोगों को नहीं पसन्द है जो मैं लिखता.
कुछ लोगों को नहीं पसन्द है जो मैं दिखता.
मैं खुद में हूँ मस्त मुझे परवाह नही है
दुनिया वालों से मेरा कैसा है रिश्ता ?
मैं अपने रिसते जख्मों को देख रहाहूँ
बाजारों की शर्तों पर मैं कभी न लिखता.
मुझे तौलने बैठे हैं जो लिये तराजू
उनको हो मालूम न मैं सिक्कों में बिकता.
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