शनिवार, 4 अप्रैल 2015

पवित्र किताब का इल्म

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पेशावर के स्कूल में छात्रों पर हमला, केनिया के स्कूल हॉस्टल में छात्रों पर हमला और दावा ये कि हमारी पवित्र किताब में लिखा है कि इल्म हासिल करने के लिये चीन भी जाना पडे तो जाओ। कहीं इसका ये मतलब तो नहीं समझ लिया है कि जिसे तालीम हासिल करनी है वो चीन जाये यहॉं केवल जाहिल ही रहेंगे। अरे ओ बर्बादियों! मेरा मतलब है जेहादियों! कभी अपनी पवित्र किताब को खोलकर पढा है ? उसे समझा है ? उस पर अमल किया है ?  तुम्हारी ये पंवित्र किताब पढने, समझने और अमल करने के लिये है ना कि ऑंखों से लगाकर होटों से चूमने के लिये है। अगर तुम्हारी इस पंवित्र किताब में कहीं बच्चों और औरतों पर जुल्म करने के लिये लिखा हो तो हमें भी दिखाना हम भी देखेंगें दुनिया का वो कौन सा मजहब है जो औरतों और बच्चों पर कहर बरसाना सिखाता है।
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टी वी पर पंतजली योग पीठ का एक विज्ञापन रोज देखता हूॅं गाय का देशी घी खायें कभी समझ में नहीं आया कि कैसे पहचान करें कि ये गाय देशी घी देती है या विदेशी घी देती है ? पता नहीं क्या कहना चाहते हैं देशी गाय का घी खायें, संकर नस्ल की गाय का ना खायें या विदेश से आया हुआ गाय का घी ना खायें ? मेरी समझ से या तो देशी नस्ल की गाय का घी हो सकता है या विदेशी नस्ल का लेकिन होगा वा देशी घी ही अगर वो विदेशी भी है और गाय का है तो खाने में कोई हर्ज नहीं है। हॉं अगर ये भाव हो कि विदेश से आया हुआ गाय का घी भी सही नहीं है तो बात दूसरी है फिर भी गाय का देशी घी कुछ नासमझ में आने वाला वाक्य ही है। 

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