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हमें पता था कि व्यापम् का क्या असर होने वाला है इसलिये जनहित में बारह रूपये में बीमा चालू कर दिया। अब जिनके अच्छे दिन हैं उन्होंने बीमा करा लिया होगा जिन्होंने नहीं कराया उनके लिये क्या किया जा सकता है? व्यापम तो सर्वव्यापि है कोई भी कहीं भी चपेट में आ सकता है। अच्छे दिनों का लाभ सबको उठाना चाहिये। वैसे भी इससे सस्ता बीमा और इतनी शान्ति की मौत इससे पहले कभी किसी को नसीब ना हुई होगी। आप इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठायें हम सफल हुये तो निकट भविष्य में आपको ऐसी ही और सुविधा दी जायेगी।
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व्यापम घोटाला एक मायने में यह अब तक के घोटालों में सबसे भयानक घोटाला है। यह इसलिये भयानक नहीं है कि इसमें सम्बद्ध लौग खामोशी से मौत को प्राप्त हो रहें हैं बन्कि यह इसलिये भयानक है कि इसने लाखों ऐसे योग्य नौजवानों के सपनों का खून किया है जो अपनी योग्यता से उस जगह होते जहॉं घोटालें के कारण अयोग्य काबिज हैं। पता नहीं कुव्यवस्था के सताये इन अभागे नौजवानों का क्या हाल होगा। पता नहीं कितने बेरोजगारी से तंग आकर डिप्रेशन के शिकार हुये होंगे कितने खुद को नालायक अनुभव करते होंगे? कितनों के जीने के मायने बदल गये होंगे। खाये अघाये लोग चाहे कुछ तर्क करें लेकिन हकीकत यही है कि बेरोजगारी सबसे बडा अभिशाप है। एक बेरोजगार आदमी की ना स्वधर्मियों में कोई इज्जत होती है और ना ही स्वजाति भाईयों में कोई सम्मान होता है। उसका अपने परिवार में ही कोई नहीं होता है। वह नीची नजर किये घर में घुसता है और चाोरों की तरह अपने घर से बाहर जाता है। हालाकि सरकारी नौकरी ही एकमात्र रोजगार नहीं होता है लेकिन व्यापम ने तो स्वरोजगार की राह भी अवरूद्ध की है । जो नौजवान अपनी काबलियत से मेडिकल कालिजों में दाखिला लेकर डॉक्टर का पेशा अपनाते उन्हें इसका अवसर ही नहीं मिला। अगर कोई सरकार या समाज अपने सक्षम नागरिकों को यथायोग्य रोजगार उपलब्ध कराने में नाकाम रहता है तो उससे ज्यादा दुखदायी कुछ नहीं हो सकता है। ऐसे समाज को ऐसी व्यवस्था को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिये।
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जो लाग सोचते हैं कि व्यापम घोटाला सिर्फ मध्य प्रदेश में है वा बडे भोले हैं। यह पूरे भारत में है। जॉंच करालीजिये हर राज्य की यही हकीकत सामने आयेगी। पहले सुनते थे कि हरियाण में मंत्री और मुख्य मंत्री खुद अपने हाथों से नौकरियॉं बेचते हैं। जैसी नौकरी चाहिये वैसे दाम दीजिये बाकि का काम नेताजी पर छोड दीजिये आपको घर बैठे नौकरी मिल जायेगी। ये बात अलग है कि हरियाणा ने कुछ इस रप्तार से तरक्की की है कि व्यवस्था के दोष ज्यादा सामने नहीं आ पाये। वैसे हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री इसी सिलसिले में जेल जा चुके हैं। लेकिन हरियाणा में मध्य प्रदेश जैसी खामोश मौते नहीं हुई।मध्य प्रदेश की इस उपलब्धि के पीछे राष्टीय सॉंस्कृतिक संगठन का सॉंस्कृतिक सहकार है। कानाफूसी तरीके से हर आपराधिक गतिविधि को अन्जाम तक ले जाने में इसका कोई सानी नहीं है। बाकि भर्ती घोटाला तो हर राज्य में है लेकिन उसे गरिमामयी प्रक्रिया से सम्पन्न करना सबको कहॉं आता है ? अब जॉंच होती है तो होती रहे। जॉंच की ऑंच ऑंच वाले तक इतनी नहीं पहुॅंच सकती है कि उसे जला दे। ऑंच थोडी तेज हुई तो गाल तमतमा जायेंगें इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा। जलना उन्हें ही पडेगा जो इसकी चपेट में आकर बेमौत मारे जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जॉंच के आदेश देकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर दी है। अब बैठकर टुकुर टुकुर मरने वालों का तमाशा देखते रहो। मैं पूछता हूॅं कि इसके गवाहों, आरोपियों और जॉंच कर्ताओं की जान की गारन्टी कौन लेगा ? क्या सुप्रीम कोर्ट को इसका कुछ इन्तजाम नहीं करना चाहिये था ?
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