मंगलवार, 14 जुलाई 2015

ग्रीस का संकट

     दुनिया के किसी हिस्से में भूकम्प आये, बाढ आये, सूखा पडे गृहयुद्ध हो या अन्य किसी भी कारण से आपदा आये तो सारी दुनिया के उदार दिल वाले लोग मदद के लिये खडे हो जाते हैं। विभिन्न देशों की सरकारें और गैर सरकारी संगठन भी अपने अपने कारणों से मदद करते हैं लेकिन ग्रीस के संकट में इस तरह की मदद कही नजर नहीं आ रही है। मेरी जानकारी में अभी किसी देश अथवा किसी स्वयंसेवी संगठन ने मदद की घोषणा भी नहीं की है। ग्रीस का संकट क्या किसी आपदा से कम है ? इसके दुष्परिणाम तो किसी भी आपदा से भयानक होने वाले हैं। एक गौरवशाली अतीत वाले राष्ट्र  का सम्मान हीं लुप्त होगा उसके नागरिकों को भी बुरे हालात का सामना करना पडेगा। और जैसा कि सब जानते हैं जब किसी परिवार या देश के हालात बिगडते हैं तो उसकी कीमत सबसे ज्यादा उसके बच्चों, औरतों और अशक्त लोगों को चुकानी पडती है। युवाओं के सामने भी कोई सम्मानजक रोजगार नहीं रहता है। नशे का कारोबार, देह व्यापार, भीख, अपहरण, हत्या, लूट, फिरौती, तस्करी करने के लिये यही काम बचते हैं। एक ऐसे देश के नागरिक जो कला, साहित्य, संस्कृति में दुनिया को राह दिखाता रहा हो उसके नागरिक अगर अपनी सरकारों की गलत नीतियों के कारण इस दुर्दशा को पहुँच  चुके हैं तो यह तो एक बडे अफसोस की बात है ही उससे भी ज्यादा अफसोस की बात यह है कि सारी दुनिया से कोई उसकी मदद के लिये आगे नहीं आ रहा है। अगर कुछ देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद भी करना चाहते हैं तो उनकी शर्तें इतनी अपमानजनक और ग्रीस के हिजों के विरूद्ध हैं कि कोई भी स्वाभिमानी और दूरदर्शी राजनेता उन्हें स्वीकार नहीं करेगा। बहरहाल ग्रीस के राजनेता जो अपने देश के हित में उन्हें उचित प्रतीत होगा वो करेंगें लेकिन मानवता के नाते सारी दुनिया के लोगों को आगे बढकर ग्रीस की मदद करनी चाहिये। अगर आज दुनिया के लोग ग्रीस को बचा लेते हैं और जो वो अपनी सरकारों की मदद के बिना भी कर सकते हैं तो निश्चय ही कल वो अपने देश पर आने वाले ऐसे ही संकट से स्वयं को बचा रहें हैं। ग्रीस का संकट विश्व व्यापि है। अगर सोवियत संघ जैसा कोई शक्तिशाली दूसरा खेमा होता तो ग्रीस लूट खसौट वाले साहूकार देशों के कर्ज को चुकाने से मना कर सकता था या कर्ज को अपनी सहूलियत के हिसाब से चुकाने की घोषणा कर देता। लेकिन आज वो ऐसा नहीं कर सकता है। भले ही उसकी जनता भारी बहुमत से पश्चिमी देशों के सामने झुकने से इन्कार कर दे लेकिन ग्रीस को ज्यादा ना नुकर करने की आजादी मिलने वाली नहीं है। इसलिये एक अंतरराष्ट्रीय सहायता अभियान चलाया जाना आवश्यक है।

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