अपनी चुप्पी पे भी इल्जाम बहुत सारे हैं।
हमने कब किससे कहा इश्क हम मारे हैं।
वो तो तुम थे जो हमें देते रहे नाम नये
वरना गुमनाम थे अब नाम बहुत प्यारे हैं।
कोई आवारा कहे, कोई कहे दीवाना
लौग पत्थर हमें पागल की तरह मारे हैं।
हमने आवाज उठायी है बदल दो ये जहॉं
जिस जगह मीरा औ सुकरात बहुत सारे हैं।
हम पियें जहर भला किसलिये खायें पत्थर
हम पे दो बाजू हैं उस पे क्या कई सारे हैं?
एक हो जायेंगें जिस रोज सभी दीवाने
देखना दिन में ही जालिम को दिखें तारे हैं।
हमने कब किससे कहा इश्क हम मारे हैं।
वो तो तुम थे जो हमें देते रहे नाम नये
वरना गुमनाम थे अब नाम बहुत प्यारे हैं।
कोई आवारा कहे, कोई कहे दीवाना
लौग पत्थर हमें पागल की तरह मारे हैं।
हमने आवाज उठायी है बदल दो ये जहॉं
जिस जगह मीरा औ सुकरात बहुत सारे हैं।
हम पियें जहर भला किसलिये खायें पत्थर
हम पे दो बाजू हैं उस पे क्या कई सारे हैं?
एक हो जायेंगें जिस रोज सभी दीवाने
देखना दिन में ही जालिम को दिखें तारे हैं।
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