शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

आरक्षण किसको चाहिये ?

आरक्षण के मसले पर फिर गर्म हवायें बह रही हैं। यह इतना ज्वलंत मसला है जिससे कभी भी शोले भडक उठते हैं। 
.आरक्षण किसको मिलना चाहिये ?लोग कहेंगे समाज के कमजोर और पिछडे लोगों को यानि की हाशिये के लोगों को आरक्षण मिलना चाहिये। अब सवाल ये है कि समाज में हाशिये पर कौन लोग हैं? सामाजिक रूप से अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग समाज की मुख्य धारा से बाहर रहे हैं अतः वही हाशिये के लोग हैं। अन्य पिछडा वर्ग के लोग भी अपने आर्थिक पिछडेपन के कारण आरक्षण के हकदार हैं। लेकिन सवाल ये है कि वे कौन से जाति समूह के लोग हैं जो इस श्रेणी में आते हैं ? क्या एक जाति के सभी लोग एक स्तर का जीवन जीते हैं? क्या कोई जाति समूह सभी भूभागों में सामाजिक, और आर्थिक रूप से समान स्थिति में है। अगर ऐसा नहीं है तो किसी जाति विशेष के लोगों का सभी जगह आरक्षण क्यों मिलना चाहिये? अगर एक ही जाति में समान सामाजिक, आर्थिक स्तर नहीं है तो उस जाति के समस्त लोगों को आरक्षण का लाभ क्यूॅं मिलना चाहिये ? मेरी समझ से प्रत्येक परिवार का व्यक्तिगत स्तर पर मूल्याकंन किये बगैर उसकी सामाजिक,आर्थिक स्थिति का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। इसलिये आरक्षण का लाभ भी इसी आधार पर दिया जाना चाहिये। यह आधार सामान्य जाति वर्ग के लिये भी लागू किया जाना चाहिये।
अगडी, पिछडी, दलित, आदिवासी जाति समूह के अलावा आरक्षण के कुछ और भी तर्कसंगत पैमाना निर्धारित किया जा सकता है। इसके लिये हमें समाज के शोषित, दमित, वंचित और उपेक्षित वर्गाें और व्यक्तियों की स्पष्ट पहचान करनी होगी। एक मोटी पहचान तो यही है कि स्त्री और विकलॉंग जन इस श्रेणी में आते हैं।स्त्री अपनी तमाम योग्यताओं और आधुनिक जीवन शैली के बावजूद समाज में अभी दोयम दर्जे पर है। अतः प्रथम दृष्टि में वह आरक्षण की हकदार है। इसी प्रकार विकलॉंग जन अपनी तमाम योग्यताओं और अन्य सहूलियतों के बावजूद मदद का मोहताज रहता रहता है। इन दोनो में भी कुछ विशेष श्रेणियॉं बनानी होंगी। जैसे स्त्रियों में तलाकशुदा, विधवा, कुवॉंरी, यौन शोषित, आदि।विकलॉंग जन भी शारीरिक और मानसिक विकलॉंगता की बहुलता के आधार पर चिन्हित किये जायें तथा उनके योग्य काम चिन्हित कर उन्हें आरक्षण दिया जाये। इसके अतिरिक्त आरक्षण में प्राथमिकता सबसे योग्य व्यक्ति को दी जाये ताकि देश से प्रतिभा पलायन न हो। इसके लिये योग्यता का मूल्याकंन भी कडे मानदण्डों पर किया जाना चाहिये।
अन्ततः यह भी उल्ल्ेख करना जरूरी है कि किसी भी तरह के आरक्षण को लागू करने से पूर्व सभी को योग्य होने का समान अवसर उपलब्ध कराना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसा किये बिना किसी भी तरह की प्रतियोगिता और आरक्षण की व्यवस्था बेमानी है।

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने समर्थ लोगों से स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोडने की अपील की है। उनकी अपील माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने समर्थ लोगों से स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोडने की अपील की है। उनकी अपील पर लाखों लोगो ने गैस पर सब्सिडी त्याग दी है। यह एक सराहनीय कार्य है। 
.मेरा सुझाव है कि एक अपील और की जाये कि जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हो गये हैं वे आरक्षण त्याग दें और स्वाभिमान से सिर उॅंचा कर जियें। देश अब उन्हें आरक्षण लेने वाला नहीं, देने वाला देखना चाहता है।...

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