शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

गजल- अच्छा लगता है



कुछ लोगों से गाली खाना अच्छा लगता है
गलती करना और शर्माना अच्छा लगता है


यूॅं तो सीधे सादे सच्चे लौग ही अच्छे हैं
कुछ का झूठा रोज बहाना अच्छा लगता है


माना एक घडी भी उनसे बात नहीं होती
लेकिन उनका आना जाना अच्छा लगता है


हमको है मालूम वो पूरे कारोबारी हैं
फिर भी उनका यूॅं मुस्काना अच्छा लगता है


जो पीछे से पीठ में अपनी छुरा घोंप देंगे
उनसे भी अब हाथ मिलाना अच्छा लगता है

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