शनिवार, 2 जुलाई 2016

7वें वेतन आयोग

आयकर ,आबकारी ,पुलिस ,आर टी ओ जैसे महकमों की तो नीलामी करनी चाहिए जो ज्यादा पैसे दे उसे नौकरी दे दो .वैसे नीलामी होती ही है .थानों की नीलामी होती है हर कमाऊ पोस्ट की नीलामी होती है अभी वो पैसा भ्रष्ट लोगों की जेब में जाता है फिर वो सरकार के खजाने में जायेगा, तो तय रहा की अगली बार सरकार वेतन नहीं बढ़ायेगी बल्कि जो ज्यादा कमाकर देगा उसे नौकरी देगी .
लेकिन ये पैसा आएगा कहाँ से ? सब जनता से ही छीना झपटा जायेगा . सरकार भी रोज नए नए टैक्स लगाकर छीन झपट कर ही रही है पीने के पानी से लेकर पार्क में बैठने तक के पैसे लिए जा रहे हैं फिर भी मंत्रियों संतरियों के खर्चे पूरे नहीं हो रहे हैं और बहुत से लोगों को सिरदर्द है कि सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन क्यों बढ़ा रही है? वे चाहते हैं कि सिर्फ सेना का खर्च बढ़ाया जाए .उनकी निगाह में सेना पर खर्च करना देशभक्ति है .लेकिन अगर असल देश भक्त हो तो सेना पर खर्च होने वाले एक एक पैसे का हिसाब मांगों, क्यूंकि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार सेना पर होने वाले खर्चे में होता है . बोफोर्स तोप से लेकर कफ़न घोटाले तक सारे बड़े बड़े घोटाले सैन्य खर्चे में हुए हैं .फिर भी इस बढे हुए खर्चे के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता है.
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले देशों में शामिल है जबकि सरकारी कर्मचारियों पर वेतन पर किये जाने वाले व्यय में वह कम खर्च वालों देशों में शामिल है. भारत में सात, अमेरिका में नौ, फ्रांस में इक्कीस, मिस्र में अट्ठाईस, फिलीपींस में उनतीस प्रतिशत व्यय कुल सरकारी खर्च में से सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने पर होता है .विडम्बना ये है कि अफसरों को साढ़े तीन लाख और निचले स्तर के ग्रुप सी के कर्मचारी को अट्ठारह हजार रुपये मासिक वेतन देना तय किया गया है. ये फासला कितना बड़ा है इसे कोई अँधा भी देख सकता है. जबकि अधिकारीयों को घर,गाडी ,फोन आदि कि सुविधा भी मिलती है . लेकिन उनके बढे वेतन से ना सरकार को कुछ परेशानी है और न उसके चमचे अर्थशास्त्रियों नीति निर्धारकों को. इसके अलावा ग्रुप डी के पदों को ख़त्म ही कर दिया है जिसमें ड्राइवर, खलासी , माली ,चौकीदार, पत्रवाहक आदि आते हैं .ये सब आउट सोर्सिंग से यानि की ठेके से आएंगे. मतलब की जो काम करते हैं वो ठेके पर रखे जायेंगे और जो हरामखोर रिश्वतखोर सारा महकमा ठेके पर चलाते हैं वो मोटा वेतन पाएंगे. लेकिन भक्तों के लिए ये कोई चिंता की बात नहीं है.चिंता की बात ये है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन क्यों बढ़ गया है ?
उधर लाला सोच रहा है कि अब दाल दो सौ से बढ़ाकर तीन सौ रुपये किलो कर देनी चाहिए, दूध अस्सी रुपये किलो, मकान किराया पांच हजार से बढ़ाकर दस हजार कर देना चाहिए. वेतन जो बढ़ गया है इसलिए कुछ तो बढ़ना ही पड़ेगा. पहले जो बढ़ाया हुआ है उसे तो लोग सब दे ही रहे हैं .

Ajit Singh

सुना है कि 7वें वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मियों को 23 % वेतन वृद्धि दी है ।
जाहिर सी बात है , केंद्रीय कर्मी खुश नहीं हैं ।
मैं कड़वा सच बोलने के लिए कुख्यात हूँ ।
खुद केंद्र सरकार में अधिकारी रहा हूँ । फिर छोड़ दी ।
मेरे पिता सेना में थे । बहन CISF में Assistant Commandant के पद से VRS ले के आई है । माता जी पिता जी के बाद family pension ले रही हैं ।
बेटा रेलवे में है ।
मैं ये बात पूरी जिम्मेवारी से और पूरे होशो हवास में लिख रहा हूँ ।
सरकार को चाहिए कि ये जो 23 % बढ़ाया है इसको cancel करके जितना वेतन ले रहे हैं , उसमे से भी 23 % कम कर दें ।
और घोषणा कर दे कि हम ना देते ........ जिसको नहीं पोसाता वो चला जाए ।
देख लेना कोई भो** वाला नहीं जाएगा ।
इस तरह 23 % वेतन में बचत करने के बाद अपने आधे से ज़्यादा कर्मचारी निकाल दे ।
सरकारी कर्मचारी कोई काम नहीं करता । एक सरकारी कर्मचारी पूरे एक हफ्ते में जितना काम करता है उतना एक प्राइवेट कर्मी एक दिन में करता है । सरकार को चाहिए कि 4 में से 2 को निकाल दे । जो दो बचें उनको बोलो , देखो भाई तुम दो बचे हो , तुम्हारे में से भी एक की छुट्टी होनी है । जो बचेगा उसको जो 3 गए हैं उनका काम भी करना होगा । दूसरी बात ये कि tender होगा । तुम दोनों में से जो कम से कम सैलरी quote करेगा उसकी जॉब बचेगी , दूसरे की चली जायेगी ।
माँ कसम , एक बार try करके देख लो । आज जो केंद्रीय कर्मी 50,000 ले रहा उसको 23 % raise देने के बजाय घटा दो । अब उसकी salary रह जायेगी , लगभग 32,000 ....... 4 में से 3 को निकाल दो और टेंडर में पक्की बात है कि वो 32 वाला 25000 में काम करने को तैयार हो जाएगा ।
काम तो साले चारों कुछ करते नहीं थे सो एक अकेला उन चारों का काम भी सिर्फ 3 घंटे में निमटा के शेष समय में पान पत्ता , चाय पानी , सुरती खैनी का टाइम निकाल लेगा ।
इसके अलावा , केंद्र और राज्य सरकारों को सभी सरकारी नौकरियां ख़त्म कर contract पे दे देनी चाहिए । tender भराओ , जो काम न करे GPL मार के भगा दो , जो साला आँख दिखाए साले की गाँ* पे गोली मारो ........
ठेके पे काम कराओ सारे सरकारी काम ........ और एक supervisor रखो हाथ में hunter दे के ।
सिर्फ Army और Paramilitary को दो कम से कम 100 % raise । और सियाचिन जैसी postings और militancy infected areas में लाख पचास हज़ार और दो महीना । सियाचिन में ड्यूटी करने वाले जवान को तो 3 लाख रु महीना भी कम है ।
बाकी सबको GPL मार के बाहर करो । नए आदमी ठेके पे रखो ।

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