शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

जंगे आजादी से गद्दारी जो करते आये हैं

  जंगे आजादी से गद्दारी जो करते आये हैं तड़ीपार का तमगा अपने माथे पर चिपकाये हैं | कंस पूतना के पाले हैं, दुश्मन बने कन्हैया के डॉलर के हैं राज दुलारे, प्यारे बड़े रुपैया के | पंद्रह लाख डकार गए हैं झूठ चुनावी वादों का नौजवान ही उत्तर देंगे इनकी सब बकवादों का | गाँधी को भी पूज रहे हैं गांधी के हत्यारे जब गोली से नहीं मरे वे पूज पूज कर मारे | अंग्रेजों के मुखबिर हमको देश भक्ति सिखलाते भगत सिंह के अनुयायी को देशद्रोही बतलाते| एक कन्हैया से इनका वो अंश कंस थर्राया भागा भागा फिरता वो जब जेल छूट कर आया| नागपुरे फन पर नाचेगा बाल कन्हैया अब भी कंस राज को ललकारेगा लाल कन्हैया अब भी | तड़ीपार की संगत वाले यूँ उपदेश नहीं देते एक बार इतिहास उठाकर क्यों वो देख नहीं लेते| गद्दारी से भरी पड़ी है जिनकी सारी कुल गाथा उनसे देश भक्ति क्या सीखें ठोक रहे अपना माथा ? वो जब परदेश में होता है, बापू याद आता है मगर स्वदेश में वो गोडसे को सिर झुकाता है| पुराने दाग ऐसे हैं, छिपाये से नहीं छिपते बहुत कपडे बदलता है,बहुत वो मुस्कराता है|

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें