जंगे आजादी से गद्दारी जो करते आये हैं
तड़ीपार का तमगा अपने माथे पर चिपकाये हैं |
कंस पूतना के पाले हैं, दुश्मन बने कन्हैया के
डॉलर के हैं राज दुलारे, प्यारे बड़े रुपैया के |
पंद्रह लाख डकार गए हैं झूठ चुनावी वादों का
नौजवान ही उत्तर देंगे इनकी सब बकवादों का |
गाँधी को भी पूज रहे हैं गांधी के हत्यारे
जब गोली से नहीं मरे वे पूज पूज कर मारे |
अंग्रेजों के मुखबिर हमको देश भक्ति सिखलाते
भगत सिंह के अनुयायी को देशद्रोही बतलाते|
एक कन्हैया से इनका वो अंश कंस थर्राया
भागा भागा फिरता वो जब जेल छूट कर आया|
नागपुरे फन पर नाचेगा बाल कन्हैया अब भी
कंस राज को ललकारेगा लाल कन्हैया अब भी |
तड़ीपार की संगत वाले यूँ उपदेश नहीं देते
एक बार इतिहास उठाकर क्यों वो देख नहीं लेते|
गद्दारी से भरी पड़ी है जिनकी सारी कुल गाथा
उनसे देश भक्ति क्या सीखें ठोक रहे अपना माथा ?
वो जब परदेश में होता है, बापू याद आता है
मगर स्वदेश में वो गोडसे को सिर झुकाता है|
पुराने दाग ऐसे हैं, छिपाये से नहीं छिपते
बहुत कपडे बदलता है,बहुत वो मुस्कराता है|
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