मेरे आँसुओं का यहाँ मोल क्या ?
जहाँ देश का मुखिया रोता मिले
जहाँ न्याय नैन भिगोता मिले
जहाँ रोज शहादत के ये सिलसिले
जवानों के अब तक न गुम सिर मिले
लबों पे सिसकते नहीं बोल क्या ?
मेरे आँसुओं का यहाँ मोल क्या ?
मैं फरियादी हूँ हर जगह न्याय का
मैं आदि नहीं मुफ्त की चाय का
अभी हो के मगरूर हँसते हो क्या
दिखेगा असर दीन की हाय का.
नहीं कोई मरहम बडे बोल का
मेरे आँसुओं का यहाँ मोल क्या ?
मैं भारत का जनगण हरेक बार क्यूँ
खडा होता लम्बी कतार में यूँ
कभी राशन भाषण, कभी वोट नोट
कभी सफ में दिल्ली के दरबार हूँ
मुझे सब पता है वहॉं झोल क्या?
मेरे आँसुओं का यहाँ मोल क्या ?
बहुत सोचा एक दिन बडे लोग जब
सभी नाच हॅंस लेंगे रो लेंगे सब
मैं उनसे कहूँगा मेरे प्रभुवर
मेरी पीर की भी तो लो कुछ सुध अब
मैं सुनता रहूँ रोज बकलोल क्या ?
मेरे आँसुओं का यहाँ मोल क्या ?
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