बुधवार, 9 नवंबर 2016

मधुर के दोहे



बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे नोट हजार
ना तो नगदी में चले, ना ले दोस्त उधार.


हम दस का सिक्का हुए तुम हो नोट हजार 
हम तो चल भी जायेगें तुम न चलो  बजार. 



छोटे मोटे सब पिटे, पड़ी एक सी मार 
हम दस का सिक्का हुए वो हैं नोट हजार .


अब हजार औ पाँच सौ नोट रहा सिर खाय 
जितना जल्दी हो सके अपने घर से जाय. 

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