देशभक्ति और आजादी को लेकर टी वी पर बहस हो रही है. प्रचंड देशभक्तों ने कथित देशद्रोहियों को घेर लिया है .जब उन कथित देश द्रोहियों को देखते हैं तो उनमें कांग्रेस ,सपा बसपा, तमाम तरह के कम्युनिष्ट वामपंथी , लेखक, पत्रकार, कवि, शायर , समाजसेवी लोग और सबसे बढ़कर देश के नौजवान विद्यार्थी नजर आते हैं .इनमें वे सभी लोग शामिल हैं जिनके पूर्वजों ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए क़ुरबानी दी है .जिनके पिताओं , भाईयों ने देश की सरहद की हिफाजत के लिए अपनी जान की कुरबानी दी है.आज उन सबसे देशभक्ति का प्रमाण पत्र माँगा जा रहा है .प्रमाण पत्र भी कौन लोग माँग रहे हैं ? प्रमाण पात्र वो लोग माँग रहे हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में एक बूँद खून नहीं दिया है .वे लोग प्रमाण पत्र माँग रहे हैं जो लोग अंग्रेजों के मुखबिर रहे हैं जिनके कारण स्वतंत्रता सेनानियों को जेल की सलाखें में कैद होना पड़ा वो लोग देशभक्त का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं .वो लोग देशभक्ति का प्रमाणपत्र माँग रहे हैं जो पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम करने के आरोप में एस टी एफ द्वारा पकड़े जा रहे हैं .मैं नहीं कहता कि वे पाकिस्तान के एजेंट हैं क्योंकि अभी वो आरोपी हैं उनका आरोप सिद्ध नहीं हुआ है लेकिन मैं ये तो पूछ ही सकता हूँ कि वे दूसरे से देशभक्ति का प्रमाण पात्र माँगने वाले कौन होते हैं ? क्या वो इस लायक हैं कि उनसे देशभक्ति सीखी जा सके ? उनका न अतीत और न वर्तमान ऐसा है कि उन्हें सच्चा देशभक्त मानकर उनसे कुछ सीखा जाए .हाँ देशभक्त होने का ढोंग करने में उनका कोई सानी नहीं है लेकिन हमें देशभक्ति का ढोंग करना सीखने की जरुरत नहीं है.क्योंकि हमें ढोंग के साथ जीना नापसंद है .
कहा जा रहा है कि 'कश्मीर मांगे आजादी ,बस्तर मांगें आजादी' का नारा लगाने वाले देशद्रोही हैं. मैं पूछता हूँ जब हम आजाद हैं, हम दिल्ली में आजादी से जी रहे हैं ,हम यू पी आजादी से जी रहे हैं .हम पंजाब में, बंगाल में, केरल में आजादी से जी रहे हैं तो कश्मीर में ,बस्तर में , मणिपुर में आजादी से क्यों नहीं रह सकते हैं? जो लोग कहते हैं कि वो सब तो आजाद ही हैं फिर वो आजादी क्यों माँग रहे हैं ? तो मैं उन्हें बता देना चाहता हूँ उन्हें आजादी मिली है भूखे मरने की .उन्हें आजादी मिली है पुलिस और सेना की गोलियों से मारे जाने की. उन्हें आजादी मिली है अपनी घर गृहस्थी,खेती क्यारी बिना बात उजाड़े जाने की .उन्हें आजादी मिली है खेत किसान से मजदूर बन जाने की. अभी कश्मीर और बस्तर की बात छोड़िये अभी तो आजादी इस देश केदलितों,आदिवासियों को भी नहीं मिली है.वो अभी भी संविधान सम्मत बराबरी के हक़ लिए तरस रहे हैं.इसलिए हमें आजादी चाहिए,हमें भारत से आजादी नहीं चाहिए, हमें भारत में आजादी चाहिए. हाँ हम जोर देकर कहते हैं कि हमें भारत में आजादी चाहिए .क्योंकि अभी आजादी भारत के हर नागरकि को हर समुदाय को नहीं मिली है अभी आजादी कुछ धन पशुओं, बाहुबलियों ,जमाखोरों लुटेरों को मिली हुई है जब तक समाज में कतार के आखिरी आदमी को, भारत के हर कोने के नागरिक को आजादी के बराबरी के अधिकार नहीं मिलते है हम आजादी माँगते रहेंगे.
कहा जा रहा है कि भारत तेरे टुकड़े होंगें चिल्लाने वालों का साथ देने वाले देशद्रोही हैं लेकिन उसकी पहचान करो वो कौन है जो देश तोड़ने वालों के साथ लड़ने गया है ? वो कोन है जो देश की ख़ुफ़िया जानकारी देश के दुश्मनों तक पहुँचाकर भारत को कमजोर कर रहा है ? अगर उन की पहचान हो गयी तो देश के टुकड़े करने वालों की पहचान उजागर हो जायेगी .हमें इस में कोई शक नहीं है कि समाज में द्वेष फैलने वाले लोगों के कारण ही ये देश पहले भी दो टुकड़े हुआ है और आगे भी अगर इस देश का कोई हिस्सा अलग होता है तो इन्हीं लोगों की कार गुजारियों के चलते होगा लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे .क्योंकि हम कश्मीर के लोगों के साथ हैं,हम बस्तर के लोगों के साथ हैं, हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं हम देश के तमाम दबे कुचले आदिवासियों, किसानों, नौजवानों के साथ हैं और वे सब कश्मीरी ,मणिपुरी पंजाबी, बंगाली मतलब सारे भारतवासी हमारे साथ हैं जो इस देश में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था में साथ रहना चाहते हैं. वो लोकतंत्र जिसमें सबको बोलने की आजादी होती है जिसमें सम्मान के साथ जीने की आजादी होती है .जिसमें स्वतंत्रता से विचरने, बसने और अपना रोजगार करने की आजादी होती है .जिसमें न्याय और सुरक्षा समान रूप से पाने की आजादी होती है .ऐसी आजादी पर किसी भी प्रकार कि बंदिशें हमें सहन नहीं हैं .इसलिए हम जोर से चिल्लाते हैं 'हम ले के रहेंगे आजादी' .
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें