रविवार, 2 अप्रैल 2017

सारा जहां साथ है मेरे .

हर ओर हवा में हावी नैतिकता, शुचिता
घुट घुट कर जीती मरती अपनी भावुकता.
कोई अपने आवारा दिन फिर लौटा दे
हमको कुछ रास नहीं आई ये परवशता .



कड़वे ही सही नीम  से हैं फायदे के हम
बाकायदा बेकायदे में कायदे से हम .
नेता नहीं जो इंतकाब बाद बोल दें
पाबंद अब नहीं हैं किसी वायदे के हम .



गर दोस्त साथ छोड़ दें तो गम नहीं मुझे
ये फेस बुक है सारा जहां साथ है मेरे .



गुजरात से गोवा भला है दूर ही कितना ?
खाना है अगर बीफ तो गोवा चले जाओ .

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें