जब हम शटर गिरा देंगे हर मजहब की दुकान का
दिल से दिल का रिश्ता होगा तब सच्चे इन्सान का |
पढ़ लिख कर आगे बढ़ने से रोक ना बिलकुल पायेगा
घंटें घडियालों का हो या फिर वो शौर अजान का |
जन्नत और जहन्नुम जाने की तकरीरे खारिज कर
खुद का ही विश्वाश रहेगा मेहनत और ईमान का |
सदियों से जो जुल्म सहा है गिन गिन कर बदला लेंगे
हर हिसाब चुकता कर देंगे हम जालिम शैतान का |
दिल टूटने की खास कोई उम्र न होती,
पकती है उम्र दिल कभी पकता नहीं देखा|
नाजुक सी चीज है कहाँ सहेज के रखें ,
बिन्दू कभी तोड़े इसे,तोड़े कभी रेखा|
मेरे सारे दुश्मन बने ख़ास तेरे
नहीं है जगह वास्ते कोई मेरे
मुझे पास आने का मौका न
कोई मेरे तो सभी रास्ते वो हैं घेरे .
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