शनिवार, 10 जून 2017

जहां मुश्किल दिनों में चाय बेची थी कभी हमने

Amarnath Madhur was mentioned in a post.
जहां मुश्किल दिनों में चाय बेची थी कभी हमने,
वो स्टेशन, वो डिब्बे ट्रेन के नीलाम कर देंगे।
--Amarnath Madhur
कृपया अपनी पंक्तियों से इसे पूर्ण गज़ल का रूप प्रदान करें।
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9 hrs
Raj Saklani Hindustani Behtarin lines
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2
9 hrs
Afroz Alam तुम्हारा जुर्म बस इतना है के तुम प्यार करते हो
बना कर रोमियो एन्टी तुम्हे बरबाद कर देगे।
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3
9 hrs
Amarnath Madhur वाह वाह
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Indresh Sahu सुनो केवल कहो न कुछ अजी ये दौर ऐसा है
अगर तुमने जुबां खोली तुम्हे नाकाम कर देंगे ।
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8 hrs
Amarnath Madhur बहुत खूब
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Suhail Ahamad सरकार नहीं व्यपार चला रहे हैं हम
देखते रहो कुछ दिन मैं टिकटों के दूने दाम कर देंगे!
काफी शेयर हो खरीद फरोख्त के लिये

व्यपारियों के हाथों हिंदुस्तान कर देंगे!
हमारा वादा था कब्रिस्तान और शमशान का,
लगा के आग दंगों की कब्रिस्तान कर देंगे शमशान कर देंगे।
किसी विरोधि विचार वाले की रैली में नारे लगवा देंगे।
किसी नजीब को जिन्दा या मुर्दा गुमनाम कर देंगे।।
किसान किसान करके शोर मचाएंगे
किसान शोर मचाएगा तो लहूलुहान कर देंगे।।
जो हमसे हो सका न कुछ तो भाइयो बहनो।
एक मुन्नी से बदनाम पार्टी है उसे और बदनाम कर देंगे।
भारत की धरती अब बाँझ हो गई है हमको जन के,
कोई नहीं विकल्प खुल्लम खुल्ल्ला ऐलान कर देंगे!

सब्र रख्खो थोड़ा, बनाके राम का मंदिर इसी साल।
राम भरोसे हिंदुस्तान करदेंगे।।
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5
8 hrsEdited
Mukesh Madhukar जो जी रहे है कुदरते शुकूँन - ए - जिंदगी ...
कसम है हाफ पैंट की हराम कर देंगे .,
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7 hrs
Dinesh Aastik सुन्दर
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6 hrs
Anil Sinojia ट्रेन क्या चीज है। सत्ता में रहने के लिए हम देश को भी बेच सकते हैं।
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7 hrs
Keshav Jee जिस कॉलेज में कभी पढ़ नहीं पाये,
वहाँ अब गुंडागर्दी सरेआम कर देंगे।
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2
7 hrs
Dinesh Aastik सुन्दर
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6 hrs
Vicky Haldwaa ताकि दूसरा कोई मोदी जी की तरह इस तरह के झूठ का सहारा लेकर कुर्सी न झटक ले...न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी
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1
6 hrs
Joga Singh ery nice
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5 hrs
Amarnath Madhur दिनेश जी धन्यवाद आपके मित्रों ने खूब अच्छा लिखा है | सभी से विनम्र अनुरोध है कि कभी हमारी गली भी आया करो यहाँ दीवार रोज रंगते हैं |
ReplyJust now

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