शनिवार, 16 सितंबर 2017

राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत

हिन्दी को भारत की राष्ट्र भाषा माना जाता है | राष्ट्र गीत इस भाषा में नहीं है राष्ट्रगीत वंदें मातरम बंगला भाषा का है | राष्ट्रगान जनगण मन बँगला भाषा में लिखा गया है | हिन्दी के महाकवियों से एक गीत ऐसा नहीं लिखा गया जो राष्ट्र गीत बन जाता | महाकवि मैथिलीशरण गुप्त जी को प्रथम राष्ट्र कवि होने का गौरव प्राप्त है लेकिन वो राष्ट्रगीत के रचयिता नहीं हैं | हाँ उन्होंने एक गीत अवश्य लिखा है " जार्ज पंचम दुनिया के सम्राट हमारे ". जो 1952-53 तक हिंदी के कोर्स में पढाया जाता था. ये हैं हमारे राष्ट्रकवि !जिन्होंने ब्रिटिश सम्राट के अभिनन्दन में गीत गाये |हिंदी के अलावा किसी और भाषा के कवि होते तो राष्ट्र कवि की उपाधि देने से पहले दस बार सोचा जाता | जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर उन्हें कोई राष्ट्र कवि नहीं कहता है | जिन्होंने राष्ट्र गीत वंदें मातरम लिखा बंकिम चन्द्र चटर्जी उन्हें भी कोई राष्ट्र कवि नहीं कहता है लेकिन जिन्होंने ब्रिटिश सम्राट की अभ्यर्थना के गीत गाये उन्हें राष्ट्र कवि कहा जाता है | इकबाल जिन्होंने सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा जैसा कौमी तराना लिखा उन्हें कोई स्व घोषित राष्ट्रभक्त सम्मान से याद नहीं करता है | क्रांतिकारी अजीमुल्ला जिन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आव्हान गीत लिखा है ---- हम हैं इसके मालिक ये हिंदोस्ता हमारा, उन्हें भी भुला दिया गया है | लेकिन राष्ट्रभक्ति कुछ ना करने वालों की जुबान पर ऐसे चिल्लाती रहती है जैसे उनहोंने राष्ट्र के लिए जाने क्या कर दिया है | जबकि कर्म करने वालों ने खामोशी से राष्ट्र के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं | उनहोंने अपनी कुर्बानी का कोई मोल भी नहीं माँगा है और वे कभी उसका उसका ढोल भी नहीं पीटते है | असली और फर्जी राष्ट्रभक्तों में यही अंतर है कि वे अंग्रेजों की चारण वंदना करके भी स्वयं को बेशर्मी से देशभक्त कहे जाते हैं और जो शहीदों के वारिस हैं उन्हें हमेशा कटघरे में खडा करते रहते हैं |

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Digamber Digamber खोजपरक और सारगर्भित।

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सरोज कुमार जानकारी सुधार लें, जन गण मन हिन्दी भाषा में हीं है। तथा वंदे मातरम् का जो अंश राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकार किया गया है, वह संस्कृत में है।

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Amarnath Madhur मैं अपनी जानकारी सुधार लूँगा |कृपया ये बताने का कष्ट करें गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने हिंदी में और कौन सी काव्य रचनाएँ की हैं ?

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सरोज कुमार संभवतः और कोई नहीं। लेकिन जन गन मन, हिन्दी में हीं है। यह हिन्दी शब्दावली है।

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Amarnath Madhur गुरुदेव रविन्द्र नाथ ने इसे हिंदी में नहीं लिखा है |हिंदी वालों ने इसे बंगला से उधार लिया है |

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सरोज कुमार शब्दावली पर गौर करें। शेष पद्य में बंगाली पुट दिखाई पड़ेगा।

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Ujjwal Bhattacharya तव शुभ नामे जागे कैसी हिन्दी है ?

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Amarnath Madhur मैंने कहा ना गुरुदेव ने हिन्दी मेंनहीं लिखा है |बंगला यूँ भी हिन्दी के निकट है लेकिन उर्दू से कम है |आप इकबाल का सारे जहां से अच्छा देखिये |क्या वह भिन्न भाषा कि रचना है ?

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Amarnath Madhur मैंने पूरा गीत मूल रूप में आगे कमेन्ट में दिया है |

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सरोज कुमार प्रथम दो संस्कृत। जगना से जागे।

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Amarnath Madhur सरोज कुमार जी अब संस्कृत को ले आये |हिंदी में क्यूँ नहीं है |संस्कृत तो सब भारतीय भाषाओं में है अनेक भारतीय भाषाओं का मूल भी संस्कृत है |

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Ujjwal Bhattacharya पूरा गीत बांगला लिपि में

জন-গণ-মন-অধিনায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা!পঞ্জাব সিন্ধ গুজরাত মরাঠা, দ্রাবিড় উৎকল বঙ্গবিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা, উচ্ছল-জলধি-তরঙ্গতব শুভ নামে জাগে, তব শুভ আশিষ মাগে,গাহে তব জয় গাথা।

জন-গণ-মঙ্গল-দায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা!জয় হে, জয় হে, জয় হেজয়, জয়, জয়, জয় হে।।

অহরহ তব আহ্বান প্রচারিত, শুনি তব উদার বাণীহিন্দু বৌদ্ধ শিখ জৈন পারসিক, মুসলমান খৃস্টানীপূরব পশ্চিম আসে, তব সিংহাসন-পাশেপ্রেমহার হয় গাথা।
জন-গণ-ঐক্য-বিধায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা!জয় হে, জয় হে, জয় হেজয়, জয়, জয়, জয় হে।।

পতন-অভ্যুদয়-বন্ধুর-পন্থা, যুগ-যুগ-ধাবিত যাত্রী।হে চির সারথি, তব রথচক্রে মুখরিত পথ দিন রাত্রি।
দারুণ বিপ্লব-মাঝে, তব শঙ্খধ্বনি বাজেসঙ্কটদুঃখত্রাতা।
জন-গণ-পথ-পরিচায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা!জয় হে, জয় হে, জয় হেজয়, জয়, জয়, জয় হে।।

ঘোর তিমিরঘন নিবিড় নিশীথে, পীড়িত মূর্ছিত দেশেজাগ্রত ছিল তব অবিচল মঙ্গল, নত নয়নে অনিমেষে।
দুঃস্বপ্নে আতঙ্কে, রক্ষা করিলে অঙ্কেস্নেহময়ী তুমি মাতা।জন-গণ-দুঃখত্রায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা!জয় হে, জয় হে, জয় হেজয়, জয়, জয়, জয় হে।।

রাত্রি প্রভাতিল, উদিল রবিচ্ছবি পূর্ব-উদয়গিরিভালেগাহে বিহঙ্গম, পূণ্য সমীরণ নবজীবনরস ঢালে।
তব করুণারুণরাগে, নিদ্রিত ভারত জাগেতব চরণে নত মাথা।জয়, জয়, জয় হে! জয় রাজেশ্বর, ভারতভাগ্যবিধাতা!
জয় হে, জয় হে, জয় হেজয়, জয়, জয়, জয় হে।।
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Amarnath Madhur सरकार इतना जुल्म क्यूँ करते हैं हम इसे नहीं पढ़ सकते हैं |देवनागरी लिपि में भी बंगला लिखी जा सकती है जो लगभग हिंदी ही है |

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Amarnath Madhur जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है।
राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग ५२ सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प
्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग २० सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में २४ जनवरी १९५० को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम २७ दिसम्बर १९११ को कांग्रेस के कलकत्ता अब दोनों भाषाओं में (बंगाली और हिन्दी) अधिवेशन में गाया गया था। पूरे गान में ५ पद हैं।

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Harun Ali Weldone Madhur ji

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Amarnath Madhur नमस्कार हारून भाई कैसे हैं ?

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Harun Ali Sb Mangal he g

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Amarnath Madhur गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित सम्पूर्ण राष्ट्र गीत -----------जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग

तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाँथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री।
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंखध्वनि बाजे
संकटदुःखत्राता।
जनगणपथपरिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले –
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।



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Rehan Khan जनगण मन सर्वप्रथम जार्ज पंचम के लिए गाया गया और रचयिता को चापलूसी का इनाम नोब्लपुरस्कार मिला।
क्या ये सत है

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सरोज कुमार राष्ट्रगान में जितना गाया जाता है वह हिन्दी के निकट है।

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Amarnath Madhur रेहान भाई आप की जानकारी बिलकुल गलत है| जन गण मन जार्ज पंचम के स्वागत के लिए नहीं लिखा गया था वहाँ वह गाया जरूर गया था |

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Rehan Khan जो गीत जार्ज पंचम के स्वागत में गाया गया ओ गीत हमारा राष्ट्र गान
मेरा भारत महान

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Ujjwal Bhattacharya सरोज कुमार हां, जितना राष्ट्रगान में है, वह हिन्दी के निकट है.

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Ujjwal Bhattacharya Amarnath Madhur कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन के लिये लिखा गया था और अधिवेशन में शांतिनिकेतन की समूह गान मंडली ने इसे गाया था.

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