हिन्दी को भारत की राष्ट्र भाषा माना जाता है | राष्ट्र गीत इस भाषा में नहीं है राष्ट्रगीत वंदें मातरम बंगला भाषा का है | राष्ट्रगान जनगण मन बँगला भाषा में लिखा गया है | हिन्दी के महाकवियों से एक गीत ऐसा नहीं लिखा गया जो राष्ट्र गीत बन जाता | महाकवि मैथिलीशरण गुप्त जी को प्रथम राष्ट्र कवि होने का गौरव प्राप्त है लेकिन वो राष्ट्रगीत के रचयिता नहीं हैं | हाँ उन्होंने एक गीत अवश्य लिखा है " जार्ज पंचम दुनिया के सम्राट हमारे ". जो 1952-53 तक हिंदी के कोर्स में पढाया जाता था. ये हैं हमारे राष्ट्रकवि !जिन्होंने ब्रिटिश सम्राट के अभिनन्दन में गीत गाये |हिंदी के अलावा किसी और भाषा के कवि होते तो राष्ट्र कवि की उपाधि देने से पहले दस बार सोचा जाता | जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर उन्हें कोई राष्ट्र कवि नहीं कहता है | जिन्होंने राष्ट्र गीत वंदें मातरम लिखा बंकिम चन्द्र चटर्जी उन्हें भी कोई राष्ट्र कवि नहीं कहता है लेकिन जिन्होंने ब्रिटिश सम्राट की अभ्यर्थना के गीत गाये उन्हें राष्ट्र कवि कहा जाता है | इकबाल जिन्होंने सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा जैसा कौमी तराना लिखा उन्हें कोई स्व घोषित राष्ट्रभक्त सम्मान से याद नहीं करता है | क्रांतिकारी अजीमुल्ला जिन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आव्हान गीत लिखा है ---- हम हैं इसके मालिक ये हिंदोस्ता हमारा, उन्हें भी भुला दिया गया है | लेकिन राष्ट्रभक्ति कुछ ना करने वालों की जुबान पर ऐसे चिल्लाती रहती है जैसे उनहोंने राष्ट्र के लिए जाने क्या कर दिया है | जबकि कर्म करने वालों ने खामोशी से राष्ट्र के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं | उनहोंने अपनी कुर्बानी का कोई मोल भी नहीं माँगा है और वे कभी उसका उसका ढोल भी नहीं पीटते है | असली और फर्जी राष्ट्रभक्तों में यही अंतर है कि वे अंग्रेजों की चारण वंदना करके भी स्वयं को बेशर्मी से देशभक्त कहे जाते हैं और जो शहीदों के वारिस हैं उन्हें हमेशा कटघरे में खडा करते रहते हैं |
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