रविवार, 24 सितंबर 2017

पढो बेटियों ,लड़ो बेटियों



पढ़ रही हैं बेटियाँ, बढ़ रही हैं बेटियाँ
रोकने वालों से जंग लड़ रही हैं बेटियाँ |

गलियाँ दे,लाठियाँ ले, रोकने थे वे चले  
लाठियों के सामने ही अड़ रही हैं बेटियाँ |

द्रोपदी,सीता,अहिल्या पूजने वालों सुनो  
बन के मैरिकोम मुक्का जड़ रही हैं बेटियाँ |

तोड़ देंगी गढ़ सभी,वो तोड़ देंगी मठ सभी 
अब मठाधीशों पे भारी पड़ रहीं हैं बेटियाँ |




फूल,कलियाँ जो समझकर नोचने में हैं लगे 
शूल बन आँखों में उनकी गढ़ रहीं हैं बेटियाँ | 












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