किसकी है विजय दशमी किसका है दशहरा ?
कौन यहाँ जीता है ? कौन यहाँ है मरा ?
कौन यहाँ जीता है ? कौन यहाँ है मरा ?
रावण आजाद यहाँ, जहाँ तहाँ घूमे है
अपना कद ऊँचा किये आसमान चूमे है
अपना कद ऊँचा किये आसमान चूमे है
सीता रोती है यहाँ, श्रीराम बन्दी है
मुक्ति की राजनीति सिर्फ जुगलबंदी है
मुक्ति की राजनीति सिर्फ जुगलबंदी है
रावण का राज है, रामराज कहते हैं
शक्ति प्रदर्शन को राज काज कहते हैं
शक्ति प्रदर्शन को राज काज कहते हैं
सिर्फ बात करते हैं,करना कुछ काम नहीं
राम रहीम दिल में है,दिल में श्रीराम नहीं
राम रहीम दिल में है,दिल में श्रीराम नहीं
इसीलिए रावण का पुतला ही जलता है
रावण तो रोज हमें जिन्दा ही मिलता है
रावण तो रोज हमें जिन्दा ही मिलता है
बचना नामुमुकिन है ऐसे छलछ्न्दों से
भाई विभीषण से, जाफर, जयचंदों से
भाई विभीषण से, जाफर, जयचंदों से
उनके हाथों में हैं झंडें संस्कृति के
सदियों की सड़ी,गली,कुण्ठा,विकृति के
सदियों की सड़ी,गली,कुण्ठा,विकृति के
जिस पर वे फूलें हैं,गर्व से ऐंठे हैं
और शीर्ष पर यूँ तनकर ये बैठे हैं
और शीर्ष पर यूँ तनकर ये बैठे हैं
जैसे हमेशा ही बैठेंगे ये ऊपर
लौटेंगे ना नीचे,आयेंगे ना भू पर
लौटेंगे ना नीचे,आयेंगे ना भू पर
इनकी विजयदशमी, इनका दशहरा है
यहाँ आम आदमी तो वैसे ही मरा है
यहाँ आम आदमी तो वैसे ही मरा है
कहीं ट्रेन पलटी है,कहीं पुल टूटा है
लोगों का तो जैसे भाग्य ही फूटा है
लोगों का तो जैसे भाग्य ही फूटा है
जुमलों के जायकों से पेट नहीं भरता है
रोज कोसने से भी रावण ना मरता है
रोज कोसने से भी रावण ना मरता है
पुतले को फूँकने से क्या हो जाएगा ?
रावण तो जिन्दा है कल फिर से आएगा |
रावण तो जिन्दा है कल फिर से आएगा |
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