दीवार पे लटकायेंगे एक और कलैण्डर
कुछ ख्वाब भी दिखलाएगें,बदलेंगे मुकद्दर |
आ जाये नया साल नया गीत सुनाता
हम भी बता दें हम हैं जमाने के सिकंदर |
नये साल में हमको सपने नये मिलें
बाहर भी हों दोस्त जो अपने गये मिलें |
गये बरस में जिनसे हाथ मिला ना हो
उन सबको भी हम गलबाहें लिये मिलें |
सम्बन्धों का शीतकाल है, आओ कुछ उष्मा जगाएं
गहन उदासी धुंध भरी है मुस्कानों की किरण खिलाएं |
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