शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

थप्पड़

एक थप्पड़ मार गया है नीरव मोदी
एक थप्पड़ मार गया है विजय मालिया |
थप्पड़ पर थप्पड़ ये पूरा देश खा रहा
पर बेफिक्र यहां सब जैसे नहीं कुछ किया ?

आरोपों के घेरे में है आम आदमी 
धन पशुओं को खुली छूट है सब चर जायें |
जब भर जाए पेट करें वो सैर सपाटा
आम आदमी सहन करें या बस मर जायें |

क्या ये देश चन्द लोगों की हुआ बपौती ?
जैसे वो चाहें वो वैसे इसे चलाएं ?
या इस देश में अपना भी कुछ हक़ बनता है ?
अपनी भी कुछ जिम्मेदारी उसे निभाएं |

ये जो हरा भरा भारत है देश हमारा
हम मेहनत करने वालों के ही दम से है |
लाल किले पर लहराता जो आज तिरंगा
उसके हर रंग में जो रंगत है हम से है |

रंग नहीं हम फीके होने देंगें उसके
नहीं धन पशु उसको यूँ चरने पायेंगे |
कहाँ भागकर जाएगा मालिया या मोदी ?
जहाँ जाएगा उसे खींच हम ले आएंगे |

सब हिसाब देना होगा पाई पाई का
बचा नहीं पायेगा जलवा भी भाई का |
तुमने भारत माता का है दूध लजाया
इतना सस्ता दूध नहीं होता माई का |

राष्ट्रभक्ति का नहीं नगाड़ा पीटा हमने
वन्दे मातरम गाने का ना किया दिखावा |
पर जब भी है हमें वतन ने आवाजें दी
हमने माँ का दूध नहीं है कभी लजाया |

सीमाओं पर लड़ें देश के दुश्मन से हम
आज लड़ेंगे हम घर के सब गद्दारों से |
संसद में बैठे मागेंगे क्या हिसाब अब
चौराहे पर ही लेंगे सब सरदारों से  |

सब तैयारी करके आना चौराहे पर
बता रहें हैं अपनी भी सब तैयारी है |
जितना हो सकता है तुमने की मनमानी
बस अब अपने मन की होने की बारी है |
   






    

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