बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

लिखो इतिहास

लिखो इतिहास में- 'अकबर नहीं चित्तोड़ जीता था
लिखो राणा के तेवर से दबा दुम भाग आया था |
लिखो जौहर नहीं करती थी कोई राजपूतानी
उठा तलवार रण में दुश्मनों का सिर उड़ाया था |


लिखो ना ताज मुगलों का है, ना ये लाल किला है
कुतुबमीनार पृथ्वीराज का मुगदर पुराना है |
यहाँ जो कुछ भी बेहतर है वो केवल हिन्दूओं से है
नहीं बेहतर अगर कुछ है उसे सबसे छुपाना है |'

लिखो वो वीर माफीनामें जो लिखता ना थकता था
जो हिन्दू और मुस्लिम कौम दो, दो देश कहता था |
कि जिसके शिष्य नाथूराम जैसे धर्मरक्षक थे
युवाओं में जो नफ़रत का जहर दिन रात भरता था |

लिखो नेकर में रहते थे भगत सिंह राजगुरु सुखदेव
सुबह शाखा में वन्दे मातरम उनको गवाया था |
बनायें किस तरह बम, फेंककर कैसे चलें आयें
ये हमने ही तो शाखा के उन्हें अंदर सिखाया था |

वो वन्दे मातरम से इंकलाब पर चले आये
यही गलती उन्हें लेकर के फाँसी पर चली आयी |
ये गलती आज भी कुछ लोग पागल हैं किये जाते
पता नहीं बात इतनी सी समझ में क्यों नहीं आयी ?

गली कूचे में वन्दे मातरम् गाने चले जाते
पकड़ ले गर दरोगा नाक रगड़ो माँग लो माफ़ी |
मगर शर्मिंदा होने की जरुरत है नहीं कोई
कि हमने देशभक्ति की कविताएं लिखी काफी |

भला यूँ जेल जाने से या फाँसी झूल जाने से
क्या कोई देश की जनता का तारणहार बनता है |
असल है देश सेवा शासकों की हाँ में हाँ रखना
तभी भारत रत्न का सच में वो हकदार बनता है |

लिखा जाएगा ये इतिहास तुम सब देखते रहना
हमारे नायकों की शौर्य गाथा विश्व गायेगा |
कभी कंधार,करगिल जगमगाएंगे सितारों से
कभी लाहौर खुद आकर के बिरयानी खिलायेगा |


पता क्या दूसरा इसको लिखे या ना लिखे कोई
लिखे देते हैं हम खुद ही चलो ये काम अपना है |
कहेगा किस तरह कोई कि ये इतिहास झूठा है
कोई माने या ना माने हमें जिद से ना हटना है |



   

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