शुक्रवार, 22 मार्च 2019

जो दला गया वो दलित नहीं
जो पतित हुआ वो पतित नहीं।
चोरों का है सरदार बड़ा
वो चौकीदार, है कथित नहीं।

है चोर एक दो चोर नहीं
चालिस चोरों की टोली है।
घेरों पकड़ो रगड़ो झगड़ो
मौका अच्छा है होली है ।

सदियों से तुमको रगड़ा है
तुम यूँ ही रहते दमित नहीं ।

कभी राष्ट्रभक्त,कभी गौरक्षक
लव जेहादी से स्व रक्षक ।
घेरे हैं लाल कन्हैया को
ये नाग कालिया औ तक्षक ।

ये जहाँ दिखें सब चौकस हों
हल्ला गुल्ला हो, शमित नहीं ।

कुछ योगी हैं, कुछ जोगी हैं
घर से भागे मनोरोगी हैं ।
होना था जिन्हें हिमालय पे
दिल्ली सत्ता की बोगी हैं ।

ये रंगे सियार, कहार बने
लख सन्यासी हो भ्रमित नहीं।

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