शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

किसान आंदोलन

 


 


ट्रेक्टर पर लगे तिरंगे पर किसने बरसाई लाठी है ?

गद्दारी किसके खून बसी? किस कुनबे की परिपाटी है?

पहचानों किसने देशद्रोही हैं लाल किले तक पहुंचाए ?

किसने घोड़े पर जीन कसी? किसने पहनाई काठी है?


वो हैं किसान खलिहान खेत सम्मान बचाने आये हैं

तुम खालिस्तानी कहते हो वो हिन्दुस्तान के जाये हैं।

वो मान तिरंगें का रखते, पहचान बहुरंगी उनकी

उन पर ना काला रंग पोतों वो देश भक्ति के पाये हैं।


इन पुख्ता पायों पर ही है भारत का जनगण टिका हुआ 

इनको तुम उनमें मत गिनना जो जन बागी हो बिका हुआ |

गर ये पाये कमजोर हुए पूरा भारत हिल जाएगा 

फिर नहीं काम कुछ आएगा कानून तुम्हारा लिखा हुआ |


काला कानून तुम्हारा है, वापिस तुमको लेना होगा 

क्या साठ गाँठ अम्बानी से?इसका जबाब देना होगा |

खेतों में खून पसीना बो जो अन्न उगाते हैं उसका 
हम वाजिब दाम मांगते हैं ये दाम तुम्हें देना होगा |

ये मांग नहीं जो मानोगे तो हम सडकों पर आएंगे 

धरना देंगे चौराहों पर हम संसद तक भी जाएंगे |

संग्राम लड़ेंगे डटकर हम खलिहानों से एवानों तक 

तुम तोपें लेकर आ जाना हम सीना खोल अड़ाएंगे |


तेलंगाना बन  जाएगा हर गांव गांव हर गली गली 

दुनिया देखेगी दीवानों की फिर अलमस्त नई टोली |

बाजू भी बहुत हैं सर भी बहुत चढने वाले कटने चले

थक जाओगे गिनते गिनते तुम चला चुके कितनी गोली ?


सत्ता के सारे शीर्ष दुर्ग फिर मिटटी में मिल जाएंगे 

हम धरती पुत्र किसान मरें भी तो मरकर उग आएंगे |

मिटटी में खेले पले बढे मिटटी से फूल खिलाते हम 

अब जो हमसे टकराएगा मिटटी में उसे मिलाएंगे |

 

हम खेत बचाने निकले हैं हर खेत हमारा अपना है 

यू पी बिहार पंजाब नहीं ये सारा देश ही अपना है |

तुम आज नहीं माने तो क्या कल हम मनवाकर मानेगें 

हम बैठ गए हैं धरने पर, देखेंगें कितने दिन ना है |


0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें