गुरुवार, 21 जनवरी 2021

 ईमान से मकान का,मकान मुसलमान का 

क्या ताल्लुक बताईये,है दीन का जहान का ?

ईमानदार हैं तो क्या गरीब ही बने रहें ?

जालिमों के महल दुर्ग दर्प से तने रहें |

नहीं हैं कम नसीब हम,ना कुदरती गरीब हम 

ये मालो जर हमारा है,करेगें अब करीब हम |  

जो भी हरामखोर हैं वो दूर हम करेंगे सब 

दिया नहीं ख़ुशी से तो मजबूर भी करेगें अब |

ये रौशनी से जगमगाते महल सब हमीं से हैं 

बाजार में चहल पहल चुहल गुल हमीं से है |

फिर क्यूँ हमारी बस्तियाँ अंधेरे में ही गुम रहें ? 

और क्यूँ तुम्हारी हस्तियाँ नशे में रह के टुन्न रहें ?

हिसाब पाक साफ़ हो, गुनाह कोई ना माफ़ हो 

करोगे तुम नहीं तो हम करेगें कोई खाफ हो |

ये देश धर्म जात सब पढ़े खुली किताब अब 

हमारा हक़ हमारा है हम लेगें अब जनाब सब |

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