बुधवार, 3 मार्च 2021

हमारे प्रतिनिधि कवि----1- अमीर खुसरो


 

          1- गीत 

काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


भैया को दियो बाबुल महले दो-महले

हमको दियो परदेस

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ

जित हाँके हँक जैहें

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ

घर-घर माँगे हैं जैहें

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


कोठे तले से पलकिया जो निकली

बीरन में छाए पछाड़

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ

भोर भये उड़ जैहें

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़

छूटा सहेली का साथ

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


डोली का पर्दा उठा के जो देखा

आया पिया का देस

अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस


अरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेस

अरे, लखिय बाबुल मोरे|

      2- दोहे 

उज्जवल बरन अधीन तन एक चित्त दो ध्यान।

देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।।


नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय।

पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय।।


अंगना तो परबत भयो, देहरी भई विदेस।

जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।।


खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय।

वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय।।


संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत।

वे नर ऐसे जाऐंगे, जैसे रणरेही का खेत।।


 

खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार।

जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार।।

    

खीर पकायी जतन से, चरखा दिया जला।

आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा।।

    

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।

चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।






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