गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

जब दूर रहेंगे दोनों ही -अमरनाथ 'मधुर'



ऐसे तो मोहब्बत क्या होगी? क्यों कौन किसी को चाहेगा ?
जब दूर रहेंगे दोनों ही, ना पास कोई भी आएगा |

रिश्तों की सारी गर्माहट
किश्तों में घटती जायेगी
जो अब थोड़ी सी दूरी है
मीलों तक बढती जायेगी

फागुन के गुण अवगुण होगें सावन भी खूब रुलाएगा |
जब दूर रहेगें दोनों ही ना पास कोई भी आएगा |

मौसम की मार महामारी
जीवन जीने की दुश्वारी
अलगाव सहन होगा कैसे
दुःख क्या कम पहले से भारी?

थक गए बहुत बोझा ढोते, ये बोझा कौन उठाएगा ?
जब दूर रहेगें दोनों ही ना पास कोई भी आएगा |

अच्छे दिन आने वाले हैं
ये आस लिए दिन बीत गए
मन की कोठरियां में रखे
चाहत के सब घट रीत गए

लुढ़का कर खाली घट कोई, फिर क्या कुछ इनसे पायेगा ?
जब दूर रहेगें दोनों ही ना पास कोई भी आएगा |
-अमरनाथ 'मधुर'

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