मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

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यू पी का चुनाव किसी महाभारत से कम नहीं है.मतदाताओं को धमकाने रिझाने का कम पूरे जोर शौर से चालू है. एक तरफ बात बहादुर भगवा सरकार हैं जो कहते हैं कि 'यू पी में हमें बहुमत मिलेगा तो राज्य सभा में हमारे ज्यादा एम् पी चुने जायेंगें .राज्य सभा में हमारा बहुमत हो जायेगा तो हम ऐसे विधेयक पास कर सकेंगे जिनसे यू पी की जनता का बहुत फायदा होगा. अगर बहुमत नहीं मिला तो हम यू पी का विकास नहीं कर पाएंगे.'
मालूम है वो कौन से काम हैं जिन्हें करके ये जनता का फायदा और विकास करना चाहते हैं ? वो क़ाम है अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और तीन तलाक का खात्मा.
जैसे ये दो क़ाम हो गए तो नौजवानों को रोजगार मिल जायेगा ,किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिल जायेगा .
दूसरी तरफ दलित और अल्पसंख्यकों की मसीहा होने का दम भरने वाली मैडम मायावती जी कहती हैं कि अगर उनकी सरकार आयी तो वो गरीबों का एक लाख तक का कर्ज माफ़ कर देंगी, मूर्तियां और पार्क नहीं बनाएंगी.
ये नहीं बताती हैं कि सोने चाँदी के मुकुट पहनेगी या नहीं ?
जो करोड़पति प्रत्याशी खड़े किये हैं वे अपनी तिजोरियाँ भरेंगे कि नहीं ?एस सी एस सी एक्ट के झूठे मुकदमें कायम होंगें कि नहीं ? सरकारी अफसर और कर्मचारियों को आत्म हत्या करने की हद तक उत्पीड़ित किया जायेगा कि नहीं ?
इन सब के बीच लैपटॉप और मोबाइल देने की बात करते दो लड़कें साइकिल पर सरपट दौड़े जा रहे हैं. उन्हें देखकर लगता है कि ये साइकिल लखनऊ नहीं दिल्ली जाकर रुकेगी . ऐसा इसलिए भी लगता है कि साइकिल में जो टूट फूट हुई या जहाँ से रास्ते में धोखा दे जाने की संभावना थी उसे ठीक कर लिया गया है.पुराने थके माँदे साइकिल सवार बदल गए हैं. अब साइकिल युवा हाथों में है इसलिए तेज तो उसे चलना ही है. बस भैंस और भैंसे से बच कर चलें दिल्ली दूर नहीं है .


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सेना का इस्तेमाल राजनीति में नहीं करना चाहिए लेकिन भाजपा के शीर्ष नेता सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को वोट पाने का जरिया बनाये हुए हैं .लगभग हर रैली में सर्जिकल स्ट्राइक को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताकर वो जनता से वोट करने की अपील कर रहे हैं .उनका ये भी कहना है कि वो राष्ट्र भक्त हैं, इसलिए ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक करते रहेंगे .
सब जानते हैं कि सेना जरुरत पड़ने पर ऐसी कार्यवाही करती रहती है .ऐसी किसी कार्यवाही का ज्यादा प्रचार नहीं किया जाता है क्योंकि ये उनकी रणनीतिक सफलता के लिए जरुरी होता है .लेकिन काम से ज्यादा प्रचार में यकीन रखने वाले ढपोर शंखी छदम राष्ट्रवादी हर अच्छे बुरे काम को अपनी राजनीति चमकने में इस्तेमाल करते रहते हैं .
ये ढपोर शंखी छदम राष्ट्रवादी सरहद की हिफाजत कर रहे सैनिकों को भरपेट रोटी भी खाने को नहीं देते हैं .रोटी माँगने वालों का दमन करने में इनकी देशभक्ति आड़े नहीं आती है .
किसानों,जवानों नौजवानों को भूखा रखने वाली देशभक्ति एक ढोंग के सिवा कुछ नहीं है. बड़बोले ढोंगी नेताओं को सबक सिखाने का ये सही वक्त है .आओ उन्हें ऐसा सबक सिखाएं जो वो कभी न भूल पाएं .

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